गुजरना इधर से ही है
गुजरना इधर से ही है
जा रहे हैं आप किधर से ?
जब रास्ता है इधर से।
यूं तो पंथ हैं अनेक सबकी ,पथ भी अनेक हैं।
मगर मंजिल सबकी एक ही है।
फिर देर किस बात की ?
ढूंढिए वो मार्ग,
पकड़ लीजिए वो डगर
जिससे हो जाए आपके साथ-साथ
औरों का भी गुजर-बसर।
मार्ग में बहुत व्यवधान हैं,
कदम- कदम पे टीले हैं।
रास्ते बहुत कंटीले हैं,
कंकड़- पत्थर से पटा है डगर।
पथ सच में बहुत पथरीले हैं।
तुम चल सको तो चलो
ढूंढ लो वो मार्ग और आ जाओ आप
जिधर से भी आना चाहते हों
आ जाओ तुम उधर से।
मगर गुजरना तो इधर से ही है।