फिर भी है लहू में इसके रवानगी। फिर भी है लहू में इसके रवानगी।
शायद बीच में यादों के कंकड़ आ गये हैं। शायद बीच में यादों के कंकड़ आ गये हैं।
एक तृष्णा है मेरे भीतर, प्यास तृप्ति तक लाएगी ही। एक तृष्णा है मेरे भीतर, प्यास तृप्ति तक लाएगी ही।
भक्त भगवान को कर देते हैं आस्था की प्रतिमूर्ति..... भक्त भगवान को कर देते हैं आस्था की प्रतिमूर्ति.....
तुम्हारी जिंदगी के भी कंकड़ बीन लिये हैं। तुम्हारी जिंदगी के भी कंकड़ बीन लिये हैं।
आ जाओ तुम उधर से। मगर गुजरना तो इधर से ही है। आ जाओ तुम उधर से। मगर गुजरना तो इधर से ही है।