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Amit Kumar

Abstract

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Amit Kumar

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आम आदमी

आम आदमी

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यह आम आदमी है 

यह आम आदमी

यह आम आदमी है 

यह आम आदमी।


झिन मीन झीनी 

झिन मीन झीनी

यह आम आदमी है

यह आम आदमी।


झिन मीन झीनी

झिन मीन झीनी

यह आम आदमी है

यह आम आदमी।


टूटा फूटा है

इसका अस्थि पिंजर

दिल के अरमान भी 

जिसके हो चुके निर्ज़र।


फिर भी देखो 

यह है मुस्कुराता

ऐसी है इसकी सादगी।


झिन मीन झीनी

झिन मीन झीनी

यह आम आदमी है

यह आम आदमी।


इसकी ताक़त है

विश्वास करना

मुश्किल हालातों से

पल-पल लड़ना।


जिसका महंगाई ने

कुछ न बिगाड़ा

किसका हिम्मत है

उसके आगे टिकना

ऐसी है देखो

इसकी बानगी।


झिन मीन झीनी

झिन मीन झीनी

यह आम आदमी है

 

यह आम आदमी।


शिक्षा हो या 

हो अशिक्षा

इसने पाई है

दोनों से दीक्षा

बेरोजगारी को कहता।


यह टाटा

घर मे मेहनत से

लाये यह आटा

गधे जैसे हैं।


यह तो कमाए

फिर भी करता 

रहे हाय ! हाय !

देखो कैसी है

जीवन की चांदनी।


झिन मीन झीनी

झिन मीन झीनी

यह आम आदमी है

यह आम आदमी।


पत्थर तोड़े

मग़र ज़िद न छोड़े

रेत कंकर भी

इसने तो जोड़े।


इसके तन पर

रहते हैं चन्द चिथड़े

जो न समझे इसे

वो इस पर बिगड़े।


बनाता महल रहे

फुटपाथ पर

बरसों ज़ुल्म हुआ

इसकी जात पर

फिर भी है

लहू में इसके रवानगी।


झिन मीन झीनी

झिन मीन झीनी

यह आम आदमी है

यह आम आदमी।


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