इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
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हर आदमी के ख्वाबों में बनता है
अरमानों का एक इंद्रधनुष
जिसमें उम्मीद के रंग भरे जाते हैं
जिसे उमंगों के फूलों से सजाया जाता है
आशा की किरणों से चमकता है ये इंद्रधनुष
हिम्मत और मेहनत से इसे मुकाम तक ले जाया जाता है ।
कई बार बनता बिगड़ता है ये इंद्रधनुष
कभी खिलता तो कभी पस्त होता है
दिल के समंदर में डूबता तैरता रहता है
अहसासों की नौकाओं पर सवार होता है
जब भी इसको ठेस लगती है
दिल में कुछ टूटने का सा अहसास होता है।
ख्वाबों ख्यालों के इंद्रधनुष रोज सजाने हैं
मंजिल तक यही इंद्रधनुष लेकर जाने हैं।