हँसकर मुझे विदा करना
हँसकर मुझे विदा करना
असमंजस में हूँ,मैं जाऊँ या न जाऊँ !
आसमां का साथ अब छूट रहा ।
मोह - माया में फँसा मैं किंकर्तवयविमूढ के बीच कब से मैं घूंट रहा ।
अपनों से दूर जा रहा मैं ---- पर जाने का उद्देश्य भी अपनों को ही पाना है ।
मेरे अरमानों के महल में अब उसे ही तो दुल्हन बन के आना है।
चाहत थोड़ी ही कम होंगे दूर चले जाने से ,
रिश्ते तो अटूट बनें रहेंगे दूर तक निभाने से ।
हँसते हुए मुझे विदा करना ,तब ही मक़सद सफल हो पाऊँगा ।
तुझे शपथ है मेरे प्यार की तुझे कभी भूला न पाऊँगा ।
आऊँगा जल्द ही बस थोड़ा धीरज बनाये रखना ,
अगर लौट सका न मैं तो खुद को उदास मत करना!
शायद हमारा सफर यहीं तक का था ,सुंदर और सलोना!
मेरे बाद भी मेरे साथी तुम मुस्करा कर जीना।
मुझमें कोई ऐसी खूबी नहीं जो लोग हमें याद करे ।
मुझ जैसे इंसान के लिए जमाना वक्त क्यों बर्बाद करे???
तुम्हारे अपने बहुत होंगे मगर मेरा अपना सिर्फ तुम हो ।
मेरे उम्मीदों की नींव भी तुझमें ही है।
असमंजस में हूँ ,मैं! जाऊँ या न जाऊँ ??
काम मुश्किल है हमसफ़र मगर आखिरी ख्वाहिश है ,
तुम इसे पूरा करना ।जाते समय मुझे तुम हँसकर विदा करना ।
हाँ मुझे हँसकर विदा करना।।।
