रवि और शशि का अनकहा प्रेम
रवि और शशि का अनकहा प्रेम
विचरते दोनों ही एक ही गगन में,
परंतु जाने क्यों भेंट नहीं हो पाती।
रवि उदय होता तो शशि अस्त रहता,
शशि उदय होता रवि किरणें छुप जाती।
यह कैसा विरोधाभास है दोनों के मध्य,
इस अनबन का राज धरती नहीं जानती।
एक ही प्रकृति की है दोनों संतानें परंतु,
स्वभाव में भिन्नता है इनके पाई जाती।
एक अत्यंत गरम है और दूसरा शीतल,
एक रोष में रहे दूजे से प्रेम धारा बहती।
परंतु दोनों का है एक संबंध रोशनी से,
बस यही समानता इनमें है पाई जाती।
रात दिन धरती को रोशनी देने का फर्ज,
इस एक फर्ज ने दोनों के मध्य जोड़ी प्रीति।
प्रकृति के आदेश से व् ईश्वरीय विधान से,
कर्तव्यों में इन्हें बांधने की बनाई गई रीति।
जबसे यह सृष्टि बनी यह रीति अटूट रही,
मनुष्य भी इनसे प्रेरणा ले तो बदल जाए,
उसकी जीवन नीति।
