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Onika Setia

Tragedy Action Classics

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Onika Setia

Tragedy Action Classics

दुश्मन ए जान

दुश्मन ए जान

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मैं तुम्हें क्यों याद करूं,

जब तुमने मेरी खातिर कुछ किया ही नहीं।

मेरी खुशी का ध्यान,

मेरी चाहतों को कोई मुकाम दिया ही नहीं।


मेरी इच्छाओं, अभिलाषाओं को,

नजर अंदाज किया, उन्हें महत्व दिया ही नहीं।

मेरी क्षमताओं, मेरी योग्यता,

मेरी उच्च शिक्षा, उच्च विचारों की कद्र की नहीं।


मेरे लबों पर खुद तो मुस्कान देने से रहे,

मगर मुझे खुद से भी खुल के मुस्कराने दिया नहीं।

मेरे कर्तव्य को ही तरजीह दी हमेशा,

मेरे अधिकारों की कभी बात की ही नहीं।


क्या मेरे लिए कभी तुम अपनों से लड़े?

मगर मेरे अपनों के खिलाफ जहर घोलना छोड़ा नहीं।

कभी मेरे खिलाफ मेरे अपनो पर बंदूक रखी,

तो कभी मेरे अपनो के खिलाफ मेरे कंधों पर बंदूक रखी,

मेरे और मेरे अपनो के साथ साजिश के सिवा कुछ किया नहीं।


जबसे आई तुम्हारे घर सच में ! कभी अपना लगा ही नहीं।

क्योंकि तुमने और तुम्हारे घरवालों ने कभी अपनापन दिया ही नहीं।

और उसपर जब कभी रोए तुम्हारे कारण ही रोए,

मगर तुमने न गलती मानी, बल्कि हमारे आंसू पोछे नहीं।


कसूर होता था सदा तुम्हारा, और ठीकरा हमारे सर पर फोड़ा।

अपनी गलतियों / पापों पर पश्चाताप कभी तुमने किया नहीं।

और जब कभी हम टूटे, बिखरे, हताश हुए,

अपने कंधों का सहारा भी दिया नहीं।


प्यार तो तुमने खुद कभी किया ही नहीं,

और हमने स्वयं कोशिश की तो दुत्कार दिया।

तुम्हारी चाल ढाल, पूरी हस्ती में बनावट छुपी है,

कुटिलता, कपट, क्रोध, अहंकार के सिवा और कुछ तुममें है ही नहीं।


बहुत लंबी कहानी है हमारे दर्द की, जो तुमसे मिले,

तुम क्या आए हमारे जीवन में,

ग्रहण के सिवा कुछ उसमें दिखा ही नहीं।

हम भला तुम्हें क्यों याद करें,

तुमने हमारे खुशहाल जीवन के लिए कुछ किया ही नहीं।


हम तो पछताते है तुम्हें अपने जीवन में लाकर,

कुल्हाड़ी मारी अपने पैर पर, जिसका दर्द जाता ही नहीं।

न जाने यह अनचाहा रिश्ता / साथ जब तक चलेगा ?

ईश्वर से इससे मुक्ति की प्रार्थना करते है अब और कोई चाह नहीं।


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