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Onika Setia

Tragedy Action Inspirational

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Onika Setia

Tragedy Action Inspirational

पत्थर

पत्थर

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पत्थर को देवता बनाने की ,

बहुत कोशिश की मगर ।

पत्थर देवता तो क्या इंसान ,

भी न बन सका ।

टूट गया हमारा नाजुक सा दिल ,

उसके जज्बातों को जगाते हुए ,

मगर एक बूंद एहसास का न पा सका ।

समझा था क्या ,और क्या निकला !

नादान था ,मासूम था, बेचारा ,

उसके दोगले पन को न समझ सका ।

सच ही कहा है किसी ने ,

पत्थर से सिर फोड़ने से क्या फायदा ,

इंसान खुद ही जख्मी हो जाता है ।

हमने की थी नादानी ! 

इसीलिए आज घायल हुए पड़े हैं ।

मन और आत्मा सब त्रस्त हुए पड़े हैं ।

अब तो यही आशा है ।

काश ! ईश्वर इससे मुक्त कर दे ,

या इस पत्थर को ही चकनाचूर कर दे ।

कुछ भी कर दे ,बस हमारी पीड़ा को दूर कर दे ।



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