हम इस जंग को भी जीतेंगे
हम इस जंग को भी जीतेंगे
उत्तर में पहाड़ों की फरारी है
घने मुलायम बादलों की सवारी है
नहर-नदियों-झील के मधुर संगीत है
भांगड़ा ढोल नगाड़ों पर नृत्य प्रसिद्ध हैं
हम फिर से संगीतानंद और नृत्य करेंगे
हम इस जंग को भी जीतेंगे ।
दक्षिण में कड़क धूप के मज़े हैं
तट किनारे नारियल अभी ताजे़ हैं
लहरों के संग दौड़ अधूरी है
पांडित्य से वह भूमि पूरी है
हम फिर से रेत के महल बनाएंगे
हम इस जंग को भी जीतेंगे ।
पश्चिम के गढ़ घूमर लाजवाब हैं
द्वारका के प्रभु श्री कृष्ण नवाब हैं
भाईचारे का गरबा सुंदर उत्सव है
विनायक का वहां लगता महोत्सव है
हम फिर से लावणी-गरबा रचाएंगे
हम इस जंग को भी जीतेंगे ।
पूर्व में सूर्योदय की छटा निराली है
भोर बरखा में मोर नृत्य चिड़ियाली है
बागानों की महक पूरे देश में फैली है
सुबह की प्यारी अमृत चाय की प्याली है
हम फिर से मौसम का लुत्फ़ उठाएंगे
हम इस जंग को भी जीतेंगे ।
हर धर्म हर कर्म आज फिर एक है
हर पेशे में मानुष योद्धा अनेक हैं
फिर कैसा ये हमारा लॉडाउन-करोना पे नीरव निर्णय है
तिहत्तर साल पहले की रणभूमि इसका प्रमाण है
हम फिर एक हो सब मुस्कुराएंगे
हर जंग की तरह हम इस जंग को भी जीतेंगे।
