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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Action Classics Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Action Classics Inspirational

घिसी हुई चप्पल

घिसी हुई चप्पल

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घिसी हुई चप्पल कहतीं हैं कि

उन्होंने कितने प्रयास किये हैं 

कितना संघर्ष किया है अनवरत

मंजिल तक पहुंचने के लिये।


अपने स्वामी के सपनों के लिए

वे चलती रहीं शनै : शनै : ।

कीचड़ , नुकीले पत्थर , कांटों 

से गुजरकर , छलनी बदन होकर 


हिम्मत की चादर ओढ़कर 

आशा की जगमगाती मशाल लिये

एक दूसरे से कदमताल किये 

बिना थके बिना शिकवा किये  

चलती रहीं अपनी ही धुन में।

घिसी हुई चप्पल बताती हैं कि 

उन्होंने अंतिम समय तक 

वफादारी निभायी थी 

कच्चे पक्के टेढ़े मेढ़े रास्तों पे भी

पैरों से दोस्ती निभायी थी 

जब तलक सांस रहीं उनमें 

पैरों को न आने दी कठिनाई थी।


इन्हें जो लोग हेय समझते हैं 

गरीबी का प्रतीक मानते हैं 

ये वो लोग हैं जो जीवन में 

परिश्रम का मूल्य नहीं जानते हैं 

घिसी हुई चप्पल उपेक्षा की नहीं 


मान सम्मान पूजा की हकदार हैं 

परिश्रम का प्रतीक हैं संघर्ष का पर्याय हैं

हौंसलों की उड़ान हैं अनुभव का आधार हैं।


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