STORYMIRROR

Supreet Verma

Drama Action Others

4  

Supreet Verma

Drama Action Others

व्यस्त

व्यस्त

1 min
341

मन हल्का करूँ तुझसे दो बात करके

रहा नहीं वक्त किसी के पास ऐसे हालात करके

है सूकूं बस तुझको ही एहसास करके 

ले चल मुझे भी दूर एक मुलाकात करके।।


कोई उंगलियाँ फेरते ही रह जाता है

सोच कर उनका खयाल मन में गुम जाता है

लफ्जों को वक्त नहीं बयां करने की

ये सोच कर ही वह कितना वक्त गवाता है।।


रह गयी याद गुमनाम ऐसे खयालात करके

रहा नहीं वक्त किसी के पास ऐसे हालात करके..


अब सबके अपने ही बनाये दायरे हैं

वक्त है फिर भी वक्त नहीं ऐसे पेश आए हैं

जमाना बीत गया है, सब समझते हैं

पर दिल तो वही है, उसकी दशा क्यूं छिपाए है।।


बंद कमरे में ही रह गया तू अपने जज्बाती ले के

रहा नहीं वक्त किसी के पास ऐसे हालात करके...



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama