हम
हम
अंदाज़ा भी नहीं होगा तुम्हे,
बातें तुम्हारी जब,
कांटें की तरह चुभती हैं,
कितनी तकलीफ सहन
करके भी,
हम खुशी का नकाब पहनना नहीं भूलते,
तुम्हारे शब्दों की गूंज दिल में होती है,
जहेन में तूफान ऐसा होता
है, फिर भी धूप की किरण,
बिछाए रहते हैं,
समझ नहीं पाते खुद को, की ये रूकावटे कैसी हैं?
दिल थम जाता है,
और खुशी भी रुठ जाती है,
हताश मन है,
फिर भी ये सजवाटे कैसी हैं?
