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Anumeha Rao

Abstract

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Anumeha Rao

Abstract

मुझे!

मुझे!

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क्या हो गया है ये मुझे,

खुदसे दूर क्यों हो रही हूँ,

नज़दीक मेरे कोई नहींं,

गुमसुम सी क्यों हो गई हूं,


ये क्या हो गया है मुझे,

क्यू खुदसे दूर हो रही हूं,

खामोशी की चादर ओढ़े,

मन मेरा मायूस है,


बात क्या खबर नहींं,

बस दूर खूदसे हो रही हूं,

नज़दीक किसके पता नहीं,

पास अपने हूँ नहींं,


समझ नहीं कहा हूँ मैं,

खो गईं हूं कही।


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