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Anumeha Rao

Abstract

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Anumeha Rao

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यार

यार

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खुदा भी हम पे,

कितना मेहरबां हुआ था,

जब उसने हमें,

तुमसे मिलाया था,

काबिल ना थे हम तेरी यारी के,

फिर भी भीड़ में उसने हमें चुना था,


खुदा भी हम पे,

कितना मेहरबां हुआ था,

जब तुमने हमारा ज़िक्र फरमाया,

जी भर के प्यार जब तुमने बरसाया,


हां, अल्लाह हम पे,

बहुत मेहरबां हुआ है,

साथ जो तेरा दोस्त हमको दिया हैं,

साथ तुम्हारा, हमारे मर्ज की दवा है,

सच कहा है किसी ने,

बिना दोस्त के भी क्या कोई चैन से जिया है?


शुक्रिया धन्यवाद या फूल बरसा दे,

हर चीज़ छोटी है तुम्हारी यारी के आगे,

निकली है दिल से ये दुआ,

हो तमन्ना पूरी तुम्हारी,

ज़िन्दगी भर रहे दोस्ती ये हमारी!



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