एक अनकही दास्तां बनकर, तुम्हारी ही यादों की। एक अनकही दास्तां बनकर, तुम्हारी ही यादों की।
अपनी भावना , सम्भावना वेदना , सम्वेदना की जला होली घुलती रही अपनी भावना , सम्भावना वेदना , सम्वेदना की जला होली घुलती रही
उसकी उम्मीदों को उसकी उम्मीदों को
मन खुशी सेभर गया मन खुशी सेभर गया
इस जहां कोभरनी है उड़ान इस जहां कोभरनी है उड़ान
सूख गया कुंए में सूख गया कुंए में