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Anantram Choubey

Others

2.6  

Anantram Choubey

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शगुन

शगुन

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कल सुबह
उठते ही मेरा
तो शगुन ही
बिगड़ गया
मोबाइल जैसे
ही खोला
अचंभित रह गया
मोबाइल के सारे
मैसेज डिलीट
हो गये
इधर उधर हाथ
चलाये
चाहकर भी कुछ
समझ नही पाये
उठते ही जैसे
शगुन खराब
हो गया
गुस्सा सातवें 
आसमान
पर चढ़ गया
वाट्सअप में
मैसेज डाले
सबसे पूछताछ
भी कर डाली
मैसेज तो नदारत
परंतु मोबाइल
चालू हो गया
कुछ जान में 
जान आई
शाम को एक
परिचित ने
मोबाइल के
फक्शन चलाये
सारे मैसेज फिर
से वापिस आ गये
मन खुशी से
भर गया
दिन भर का
उदास चेहरा
फूल सा
खिल गया।
जैसे शगुन
मिल गया।


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