रिमझिम वर्षा
रिमझिम वर्षा
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई
खुशी के साथ छाई अंगड़ाई।
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी
आसमान में बदली छाई।
हर किसान के दिल से पूछो
कितना मन हर्षाया है।
पानी की रिमझिम बूंदों ने
ऐसा रंग दिखाया है।
मौसम की बलिहारी देखो
कितनी प्यारी प्यारी देखो।
चारों तरफ छाई हरियाली
धरती की है शान निराली।
नदी और पनघट थे सूने
भीड़ वहाँ घिर-घिर है आई।
गली-गली में शोर मचा है
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई।
छेड़े राग मेंढ़कों ने भी
ताल-तलैया नालों में।
मन की हुई मुरादें पूरी
वर्षा के इस मौसम में।
गोरी को भी साजन की
याद ने फिर तड़पाया है।
वर्षा की रिमझिम फुहार
ने दिल का चैन चुराया है।