सबसे प्यारी चीज
सबसे प्यारी चीज
तुम जानते हो
मेरे दादा जी
सिर्फ मेरे दादा जी नहीं
बल्कि मेरे माँ-बाप दोनों थे
मम्मी-पापा के अलग
हो जाने के बाद
किसी ने मुझे नहीं रखा
तो दादा जी मुझे अपने
साथ ले आए यहाँ
इन खूबसूरत वादियों में
मुझे पाला-पोसा बड़ा किया
पढ़ाया-लिखाया
मुझे इस काबिल बनाया
सब उन्हीं की वजह से
जब मैं माँ के साथ थी
तो उन्हें मेरा ख्याल
ही नहीं आता था
सुबह से दिन, दिन से शाम
और शाम से रात हो जाती
पर उनका कोई निशान
नहीं होता था घर पर
मैं इंतजार करती रहती
कि मम्मी अब आएगी
और मुझे खाना खिलाएगी
बस मैं इंतजार ही
करती रह जाती
ऐसे ही एक दिन
रविवार का दिन था वो
मिलने के लिए आए मुझसे
तो मेरी हालत
उनसे देखी नहीं गई
बस शाम हुई भी नहीं
और वो मुझे यहाँ ले आए
मुझे आज भी याद है
पूरे रास्ते दादा जी मुझे
खाना खिलाते हुए लाए थे
कही बस रुकी भी नहीं
कि खाने का सामान मेरे सामने
लाकर रख देना था उन्होंने
हर वक्त मेरे साथ
साये की तरह रहते थे
कुछ हुआ भी नहीं कि
डॉक्टर तैयार रहता था
स्कूल से घर, घर से स्कूल
फिर कॉलेज
जोकि माँ-बाप का
फ़र्ज होता है सब
उन्होंने किया
हमेशा मेरा ख्याल रखते थे
जैसे मैं उनकी ही बेटी हो
मेरे होते हुए
वो अपने इस प्यारे
कैफ़े का ध्यान भी
नहीं रख पाए अच्छे से
उन्हें इस कैफ़े से
बहुत लगाव था
जब भी मेरी छुट्टी होती
वो मुझे अपने साथ
यहाँ ले आते
मैं यहाँ बैठकर
वादियों की खूबसूरती
और उनके शांतपन को देखती
अलग-अलग तरह के लोगों को
यहाँ आते हुए देखती
यहाँ लगे इन प्यारे
पेड़ों को देखती
अच्छा लगता था
यहाँ वक्त बिताना
और तुमसे भी तो
मेरी पहली मुलाकात
यहीं हुई थी
तुम रास्ता पूछने आए थे
न दादा जी से
और दादा जी ने तुम्हें
पैसा माँगने वाला समझकर
तुम्हें पैसे दे दिए थे
पर शायद तुम उन्हें
पहली नजर में ही
पसंद आ गए थे
क्योंकि वो जो तुम्हें
हर बार बहाने से
बुलवाते थे
और फिर खुद बहाने से
गायब हो जाते थे
ताकि हम दोनों एक-दूसरे
को समझ पाए
अब सब समझ में
आता है मुझे
उनके जाने के बाद से
उन्हें शायद आभास
हो गया था जाने का
कि उनके पास ज्यादा
समय नहीं है अब
मेरे साथ रहने का
तभी उन्होंने हमारी शादी
जल्दी में करवाई
ताकि वो मुक्त हो जाए
इस जिम्मेदारी से
पर मैं नहीं
मुक्त होना चाहती
थी उनसे
बचपन से लेकर अबतक
उन्होंने हर कदम पर
मेरा साथ दिया
मेरी जड़ बनकर रहे
जब मुझे उनकी छाँव
चाहिए थी
तब मुझे छोड़कर चले गए
ऐसा क्यूँ किया उन्होंने
मेरे साथ करण
और वो लिपट कर रोने लगी
जो आँसू उसके उस टाइम
बहने चाहिए थे
वो अब बह रहे है
क्योंकि अब उससे संभाला
नहीं जाता इनका भार
जो उसके दिल में
एक हफ्ते से मौजूद है
कृतिका, सुनो मेरी बात को
वो तुमसे दूर थोड़ी न हुए है
वो अभी भी हमारे साथ है
इस कैफ़े की हर एक चीज में
इन पेड़ों में, वादियों में
और खासकर तुम्हारे दिल में
तभी तो ये कैफ़े तुम्हारे नाम
कर के गए है वो
तुम्हीं कहती हो न
कि ये कैफ़े उन्हें बहुत
अजीज था
तो फिर वो तुमसे
दूर कैसे हुए
अपनी सबसे प्यारी
चीज तो वो तुम्हें
दे कर गए है
ताकि तुम ख्याल
रखोगी इसका
जैसे उन्होंने तुम्हारा रखा
तुम ऐसे टूट जाओगी
तो इसे कौन संभालेगा?
नहीं, मैं रखूंगी
और कौन रखेगा
किसकी इतनी हिम्मत है
जो इस कैफ़े को हाथ लगाए
मैं इसका वैसे ही ख्याल रखोगी
जैसे दादा जी ने मेरे
रखा था बचपन से
हम्म, गुड गर्ल
चलो अब कुछ खा लो
एक हफ्ते से कुछ नहीं
खाया है तुमने
और तुमने भी तो
कुछ नहीं खाया है करण
सब काम देख रहे थे
और मुझे भी संभाल रहे थे
इस कैफ़े को भी
अरे कमाल करती हो यार
पति हूँ तुम्हारा
तुम्हारा ख्याल मैं नहीं रखूंगा
तो और कौन रखेगा
वैसे भी वो मेरे भी
दादा जी थे
और उन्हें मरते वक्त
वादा किया था मैंने
कि तुम्हारा हर कदम
पर ध्यान रखूंगा
जैसे वो रखते थे
बिल्कुल एक छोटी
बच्ची की तरह...
