एक किताब जिसमें गांव
एक किताब जिसमें गांव
एक मेरा गांव
मेरा एक घर जिसमें
एक कमरा भी उसमें
एक बिस्तर था उस कमरे में
पड़ी थी कई किताबें उस बिस्तर पे
एक किताब जिसमें लिखी थीं नज्में
वो थी सब उसकी याद में
पत्ते घुमाकर देखा तो उसमें
था एक दरवाजा उस किताब में
चाबी से खोला तो पहुंचा
फिर मेरे एक गांव में
जा पहुंचा फिर एक घर में
एक कमरा भी था उसमें
और एक बिस्तर था उस कमरे में
पड़ी थी कई किताबें उस बिस्तर पे
एक किताब जिसमें लिखी थी नज्में
जो थी उसकी याद में
पत्ते घुमाकर देखा तो उसमें
था एक दरवाजा उस किताब में
चाबी से खोला तो पहुंचा
फिर उस एक गांव में।
