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Rohtash Verma ' मुसाफ़िर '

Children Stories

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Rohtash Verma ' मुसाफ़िर '

Children Stories

उगता हुआ सूरज

उगता हुआ सूरज

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बिखरा किरणें आशा की

निकलता पल-पल जलने को!

ढ़लने को!

स्वयं में नित्याकार

पाता उजास यह संसार

होता जग का उद्धार 

करता रोशन भू का रज-रज।

उगता हुआ सूरज।।


शशि, नक्षत्र, उल्काएं ग्रह

सब कर जाते किनारा।

रहता नभ में अकेला

स्वर्ण-धेनुओं का ले सहारा।

हंसता खूब पंछियों को देख

बच्चों के करतब को देख

अठखेली करता स्वयं बच्चा बन

छुप जाता घन-पर्दे में,

लुका-छिपी करता हुआ

देता है सबको अचरज।

उगता हुआ सूरज।।



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