यादों का झरोखा
यादों का झरोखा
बीता वर्ष,
बीता जिंदगी का लम्हा...
बीते पलों को गाना क्या?
नयी उम्मीदें, नये पथ...
मुश्किलें देख घबराना क्या?
हर कोई राही है
अपनी मंजिल का,
जो चला कभी न थकता है!
यादों का झरोखा रखता है!!
साथ सदा का....
वादों में हर कोई ले चल रहा।
देख ' मुसाफिर ' दरिया उस पार....
आसमां रंग बदल रहा।
तू भी ढल जा
वक्त है अभी,
क्यों दर बदर भटकता है!
यादों का झरोखा रखता है!!
आज नहीं कल होगा,
कभी अच्छा, कभी छल होगा,
यही यहां का चलन है।
साथ दे स्वयं का बस,
स्वयं से सच्चा मिलन है।
प्रेम की ज्वाला में तपकर,
मीठे फल वो चखता है!
यादों का झरोखा रखता है!!
