भरके अचरज गधे स्वामी, पहुँचे अपने घर के नानी। ईश्वर की कैसी नादानी, मुझको होती है हैरानी... भरके अचरज गधे स्वामी, पहुँचे अपने घर के नानी। ईश्वर की कैसी नादानी, मुझको होत...
बन गया न जाने कब पौधा, विशाल पेड़, हर्षाया सा। बन गया न जाने कब पौधा, विशाल पेड़, हर्षाया सा।
कितना अचरज भरा ये विश्व पटल है। ये तो बस नजरिए का फर्क है। कितना अचरज भरा ये विश्व पटल है। ये तो बस नजरिए का फर्क है।
ऐसे नाराजगी जिन्दगी में प्रथम बार देखी। ऐसे नाराजगी जिन्दगी में प्रथम बार देखी।
देखा गाँधी ने कर डाला , संकल्प तुरत सत्यवादी का देखा गाँधी ने कर डाला , संकल्प तुरत सत्यवादी का