नजरिए का फर्क है !
नजरिए का फर्क है !
किसी के लिए कुछ सही
किसी के लिए वो ही गलत है।
हर आदमी की सोच अलग है।
ये तो बस नजरिए का फर्क है।
कोई मिट्टी को स्वर्ण कहता है
कोई मिट्टी को धूल कह देता है।
किसी को रूप का घमंड है
तो किसी के लिए देह बस नश्वर है।
ये तो बस नजरिए का फर्क है।
कोई आज में जीता है,
तो कोई कल को संवारने में लगा रहता है।
किसी के लिए धन सिर्फ हाथ का मैल
तो किसी के लिए उसका संचय ही सब कुछ है।
ये तो बस नजरिए का फर्क है।
कितने ही अलग लोग
कितनी ही अलग सोच है।
कोई बस खुशी ढूंढता रहता
कोई हर तरफ ही खुशी देखता है।
कितना अचरज भरा ये विश्व पटल है।
ये तो बस नजरिए का फर्क है।