बदलाव का समय: क्या खोया क्या पाया !
बदलाव का समय: क्या खोया क्या पाया !
शिक्षकों ने कितना संघर्ष है देखा
कोरोना काल ने अलग रूप दिखलाया है।
स्कूल नहीं जा पाते बच्चे अब तो,
घर पर ही विद्यालय आया है।
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,
कम तनख्वाह में भी शिक्षक ने पढ़ाया है।
अपने उत्तरदायित्व निभाने को आतुर,
हर शिक्षक ने तकनीकी संग बीड़ा उठाया है।
बच्चों ने बहुत कुछ है खोया,
फिर भी कुछ तो पाया है।
पढ़ाई - लिखाई पूरी करने की खातिर,
अभिभावकों ने भी साथ निभाया है।
ज्ञान तो ज्ञान है भला,
चाहे ब्लैक बोर्ड से आए
या कंप्यूटर से अब आता है।
समय ने तो यहीं समझाया,
बिन साक्षरता के कोई भी जीत ना पाया है।
कोरोना के कारण तकनीकी का ही बोल बाला है।
अब तो खुद को सक्षम बनाने का,
उत्तरदायित्व भी सब पर आया है।
परिवर्तन ही मंत्र है पाठकों,
क्यों इससे जी घबराया है।
एक बार दिल खोल के सीखो,
ये तकनीकी का ही समय अब आया है।
आओ मिलकर शिक्षकों के साथ,
बच्चों को साक्षर बनाएं।
हर बदलाव की नियति से उन्हें,
मिलकर परिचित करवाएं।