STORYMIRROR

Vinita Tomar

Classics Inspirational

4  

Vinita Tomar

Classics Inspirational

खुशियों की चाभी !

खुशियों की चाभी !

1 min
524

खुशियों की चाभी ढूंढते हुए

कब निकल गए वक्त से जूझते हुए।

कभी गलियारों में,कभी तस्वीरों में

कभी दोस्तो की मंडलियों में।

गांवों की पगडंडियों में।

कभी शहर की चकाचौंध में।

ढूंढी चाभी बहुत, पर मिली नहीं जग में।


अक्सर लोगों को आकर्षित करने की जद्दोजहद में

करते कितना कुछ हम सब इस माहौल में।

फिर भी मिलती नहीं सच्ची चाभी एक भी पहल में

तारीफ भी अब तो कीमतों में मिलती है

फिर कैसे मिलेगी चाभी इस भंवर में।

ढूंढी चाभी बहुत, पर मिली नहीं जग में।


फिर अंतर्मन में झांकते हुए

खुद को झकझोरते हुए।

सवाल लिए बैठे थे समाधि में,

कि कैसे मिले खुशियों की चाभी हमें।

प्रकाश हुआ जब अंतकरण में,

जवाब मिला तभी उसी क्षण में।

खुशियों की चाभी तो,सहज ही तेरे पास है बंदे

फिर क्यों ढूंढता सम्पूर्ण जग में।

चित से जो खुश है,उसको दिखता सब कुछ है।

यहीं है खुशियों की चाभी इस जग में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics