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Dr.vishnu Prasad Vaishnav

Children Stories Others

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Dr.vishnu Prasad Vaishnav

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गौरेया

गौरेया

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भोर भये उठ सबसे पहले ,

नव किरण संग तुम आती हो।

चीं चीं चूं चूं मधुर स्वरों से ,

हर घर को चहकाती हो ।।


कभी फुदकती हो आँगन में ,

कभी गगन में उड़ जाती हो ।

कभी खेत में दानें चुगती ,

 कभी चमन में इठलाती हो ।।


तिनके - तिनके जोड़ - जोड़ कर , 

क्या ! सुंदर नीड़ बनाती हो ।

जो भी मिले प्रेम से खाती ,

संतोष का पाठ पढ़ाती हो ।।


खूब नहाकर शुष्क धूल में ,

देती हो बारिश की पाती।

मंगल आशा बन जीवन की ,

सारे कष्टों को अपनाती ।।


सुन री ! मेरी कृषक लाड़ली ,

जगत जाने तुमको गौरेया ।

नाम भले हो कितने तेरे ,

तू भारत की सोन चिरैया।।



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