मोर
मोर
सतरंगी है पाँखें मेरी ,
नीली गर्दन वाला हूँ ।
झूम झूमकर नाच दिखाता ,
मैं मन से मतवाला हूँ ।।
सिर पर सोहे एक कलँगी ,
पूँछ छिपा सुंदर संसार।
गहरे नीले पंख है मेरे ,
भूरी टाँगे सहती भार।।
बरसाती मौसम में अक्सर ,
केकार ध्वनि गुँजार करूँ ।
फैलाकर अपनी पंखुड़ियां ,
सब जीवों का ध्यान हरुं।।
इच्छा से ही दिखता हूँ मैं ,
स्वेच्छा से ही उड़ता हूँ।
बैठूं पेड़ों के झुरमुट में ,
या धरती पर चलता हूँ।
कार्तिकेय का वाहन हूँ मैं ,
काले नाग का भक्षक हूँ ।
चुगता रहता कीट पतंगें ,
वनस्पति का रक्षक हूँ ।।
रूप बड़ा मन मोहक मेरा ,
पहली पसंद हूँ बच्चों की ।
झूठे लोभी मुझे न सुहाते ,
कदर करूं सब सच्चों की ।।
कहते हैं मुझको नीलकंठ ,
सारंग शिखी और मयूर।
भारत का राष्ट्रीय पक्षी हूँ ,
पूरी दुनिया में हूँ मशहूर ।।