मिठ्ठू
मिठ्ठू
मिठ्ठू मियां बड़े रंगीले,
मिर्ची खाते चाव से ।
उड़ते हैं भई नील गगन में,
रहते समता भाव से।।
लाल चोंच और हरा रंग है,
टें - टें राग सुनाते हैं ।।
मिट्ठू मिट्ठू बोल बोलकर ,
मनुजों सम बतलाते हैं। ।
टहनी पर ये खेल खेलते ,
कोटर में करते हैं वास।
धूम मचाते हैं पेड़ों पर ,
पल वो होते हैं खास।।
मत डालो बेड़ी पिंजरे की ,
क्षितिज में उड़ जाने दो।
जीने दो इनको मस्ती में। ,
आशा जीवन की आने दो ।।