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Supriya Singh

Children Stories

4  

Supriya Singh

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मेघा आये

मेघा आये

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मेघा आये, मेघा आये।

काले-काले नभ पर छाये।

आँधी-तूफ़ान संग में लाये।

उमड़-घुमड़ कर शोर मचाएं।

बरखा लाये, बरखा लाये।

काले-काले मेघा छाये.....


शीतल जल की नन्ही बूंदे।

जब नभ से धरती पर आयें।

प्यासी धरा तृप्त हो जाये।

हरियाली चहुँ ओर है छाये।

धरती-अम्बर झूमे गायें।

मेघा आये, मेघा आये.....


पपीहा, मोर, तितली रंगीली।

कूके मस्त कोयलिया काली।

वन-उपवन की छटा निराली।

पुष्प सजी हर डाली-डाली।

जग में छायी है खुशहाली।

मेघा आये, मेघा आये.....


मेढक टर्र-टर्र राग सुनाएं।

झींगुर अजब रागिनी गायें।

भँवरे गुंजन स्वर गुंजाएँ।

पशु-पक्षी भी धुन में गायें।

जुगनू रात जगमगा जाएं।

मेघा आये, मेघा आये.....


नदियाँ, ताल-सरोवर, झीलें।

भरी हुई हैं जल से नीले।

आँख-मिचौली सूरज खेले।

चमकें चाँद-सितारे हौले।

इंद्रधनुष बादल बीच झांके।

मेघा आये, मेघा आये.....


मेघा आये, मेघा आये।

काले-काले नभ पर छाये।

आँधी-तूफ़ान संग में लाये।

उमड़-घुमड़ कर शोर मचाएं।

बरखा लाये, बरखा लाये।

काले-काले मेघा छाये.....


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