जल नही जीवन बचाओ
जल नही जीवन बचाओ
कभी बन मैं ओंस की बूंद
मोती बन बिखर जाता हूँ
मोहकता की छवि बना
मुस्कान चेहरे पर लाता हूँ ।।
कभी तपता भानु के तप में
भाप बन उड जाता हूँ
बादल बन जब मैं बरसता
भू-धरा की प्यास बूझाता हूँ ।।
कभी बन आँख के मोती
छ्लक खुशी में आता हूँ
कभी दुःखमें बह कर के मैं
भावुकता दर्शाता हूँ ।।
बेरंग हूँ, हर रूप में ढलता
मोल-भाव ना करता हूँ
निश्चित हो मैं आगे बढ़ता
खुद अपना मार्ग बनाता हूँ ।।
कभी सागर की लहरें बन
किनारों से टकराता हूँ
रूप बना भयंकर बाढ़ का
विनाश बड़ा कर जाता हूँ ।।
कभी बन मैं मीठा जल
सबकी प्यास बुझाता हूँ
हर जीव को जीवन दे
अपना धर्म निभाता हूँ ।।
