बढ़ता चल बस बढ़ता चल
बढ़ता चल बस बढ़ता चल
प्रयासो में कमी ना कर
कर्तव्य पथ पर बढ़ता चल
छोटे-बड़े का ध्यान रख
ज्ञान-विज्ञान को ग्रहण तो कर
बढ़ता चल बस बढ़ता चल।।
विजयश्री कदम चूमेगी
भय ना किसी बात का कर
हार भी गया तो कोई बात नहीं
अनुभव के लिए प्रयास तो कर
बढ़ता चल बस बढ़ता चल।।
असंभव को संभव बना
दिन-रात को एक तो कर
खून-पसीने बहा के अपना
अपने हिस्से का अभ्यास तो कर
बढ़ता चल बस बढ़ता चल।।
दिन चर्या को ले बना
सूचिवद्ध योजना पर अपनी चल
हर कष्टो को सहते हुये
लक्ष्य पाने का प्रयास तो कर
आगे बढ़ बस बढ़ता चल।।
काम, क्रोध और अभिमान को
जीवन मार्ग से अलग तो कर
विजय पताका एक दिन, तेरी होगी
थोड़ा सा प्रयास तो कर
आगे बढ़ बस बढ़ता चल।।