कोयल
कोयल
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कोयल काली बड़ी मतवाली,
डोले वन की डाली - डाली।
गीत ये मीठे गाती है,
सबके मन को भाती है।।
बसंत ऋतु में ही ये बोले,
कानों में अमृत रस घोले।
कुहू - कुहू बोले बोल,
वाणी इसकी है अनमोल।।
आम्र मंजरी इसे सुहाती,
सघन कुंज में ये इठलाती।
नव पल्लव में छिप जाती,
मनुज देखकर ये शर्माती।।
भूरा रंग उदर पर साजे,
श्यामल वर्ण वपु पर राजे।
सुंदर सुघड़ मनोरम काया,
मोहक रूप सभी को भाया।।
कोयल ये स्वरों की रानी,
जग में जाती है पहचानी।
मंगल गीत सुनाती है,
प्रसन्नता छा जाती है।।