बंदर मामा
बंदर मामा
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बन्दर मामा बड़े सयाने,
लटक पेड़ पर जाते।
उछल - उछल के शाखाओ पर,
सबको खेल दिखाते।।
कभी कूदते कभी फांदते,
कभी ये दौड़ लगाते।
ठुमक ठुमक कर चलते हैं,
और सबको नाच दिखाते।।
आम अनार और चने,
कभी ये केला खाते।
करके अपनी कलाबाजियां
सबका मन बहलाते।।
बनकर ये श्री राम के सेवक,
युद्ध में साथ निभाया।
करवाया आजाद सीता को,
जग में नाम कमाया।।
