खेत हो गए सब हरे भरे ओढ़ पीली-हरी चुनरियां। खेत हो गए सब हरे भरे ओढ़ पीली-हरी चुनरियां।
मैया की मंजरी खिलखिला कर. मैया की मंजरी खिलखिला कर.
कहीं सुख की छाया दिखती तो, कहीं दुखों का घना बसेरा था कहीं सुख की छाया दिखती तो, कहीं दुखों का घना बसेरा था
झरा देना तुम एक-एक कर मंजरी सा मिट्टी में झरा देना तुम एक-एक कर मंजरी सा मिट्टी में
घने कोहरे में भी खिल आती हो धूप गर्माहट का आश्वासन देती हुई सी , घने कोहरे में भी खिल आती हो धूप गर्माहट का आश्वासन देती हुई सी ,
भारत ! कोई मुझसे पूछा, आखिर क्या है यह ? भारत ! कोई मुझसे पूछा, आखिर क्या है यह ?