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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance

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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance

अंत के बाद भी..

अंत के बाद भी..

1 min
211


जीवन की समग्र अस्थिरताओं को 

उलीचते हुए

शाश्वस्ताओं की तलाश में

उस दिन

मृत्यु के समक्ष

मैं सौंप जाऊंगी

अपनी समस्त कविताएं

तुमको,


झरा देना तुम

एक-एक कर मंजरी सा

मिट्टी में 

सिवाय "प्रेम-कविताओं" के,

क्योंकि "इंतज़ार" के अलावा 

कुछ है ही नहीं उनमें !!


सुनो..

रहने देना ज्यों की त्यों उनको

मेरी ही मुट्ठी में

कि तुम्हारे होने के एहसास को

मैं पल-पल जी पाऊंगी

अंत के बाद भी !!


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