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Kamini Soni

Romance

3  

Kamini Soni

Romance

बसंत मन को भाए

बसंत मन को भाए

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सखी री ! देखो यह

बसंत मन को भाए।

पीली पीली सरसों फूली

मन को बड़ा हरषाए।‌


नई दुल्हन सा श्रृंगार किये

धरा हो गई हरी-भरी।

मन को भाए पवन बसंती

सुबह शाम लगे खिली खिली। ‌


सखी री ! देखो यह

बसंत मन को भाए।


आम ने भी मंजरी ओढ़ी

खिल उठे पुष्प नई-नई कलियां।

खेत हो गए सब हरे भरे

ओढ़ पीली-हरी चुनरियां।


सखी री ! देखो यह

बसंत मन को भाए।


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