नव संकल्प
नव संकल्प
कूकनें लगी है कोयल मतवाली
आ गई देखो हरी-भरी ऋतु बसंत।
छा गई धरा मे चहूं ओर हरियाली
ऋतु में है यह ऋतुराज बसंत।
पेड़ों पर नई कोपलें फूटी
लगी नई फसल भी पकने।
सरसों खेतों में फूल उठी
पंछी भी अब लगे चहकने।
आओ सब मिलकर स्वागत करें
नई खुशियों का हम आगाज करें।
भूल कर हम सारे दुखों को
नव संकल्पों से नव जीवन
की शुरुआत करें।