शीर्षक - साथ निभाना
शीर्षक - साथ निभाना
घर के द्वारे पर बैठ बैठ कर
सजन तिहारी बाट निहारु।
तन्हाई के इस आलम में
तड़प तड़प दिन रैन गुजारूं।
याद तुम्हारी आती हर पल
नहीं गुजरता वक्त हमारा।
लगता है पल ठहर गया है
सूना सूना है घर सारा।
जी नहीं सकते बिना तुम्हारे
दूर ना हमसे जाना तुम।
गर समझ ना पाओ प्रीत हमारी
फिर भी साथ निभाना तुम।
घर के द्वारे पर बैठ बैठ कर
सचिन तिहारी बाट निहारूँ।

