महाराणा प्रताप और चेतक
महाराणा प्रताप और चेतक
मेवाड़ के कुंभलगढ मे महाराणा प्रताप का जन्म हुआ
वीर सीरोमणि महायुद्धा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ
महाराणा उदय सिंह पिता ओर जयवंता बाई थी माता
वैभव में बचपन बीता ओर भीलों से रखा नाता
महाराणा प्रताप को प्यार से कीका कहकर बुलाते थे
परम तेजस्वी राणा सांगो के वह पोत्र के कहाते थे
मेवाड़ के सीसोदिया राजवंश के वह राजा थे
एकलिंग महादेव महाराणा प्रताप के कुलदेवता थे
मानसिंह के हाथों अकबर ने संदेशा भिजवाया
महाराणा ने सुनते ही एकदम से उनको ठुकराया
१५७६ में हल्दीघाटी का युद्ध महान हुआ
महाराणा प्रताप के शौर्य के आगे नतमस्तक हिंदुस्तान हुआ
७२ किलो का कवच था उनका ८१ किलो का भाला था
राजपूती आन बान को वीर योद्धा ने संभाला था
परमवीर घोड़ा चेतक रण में वह भी अमर हुआ
घायल होकर भी राणा को बचाने २६ फुट का नाला कुदा
वीरगति पाई चेतक ने इतिहास में नाम कमाया
हल्दीघाटी में संस्कार हुआ चेतक स्मारक बनवाया
अकबर के आगे झुके नहीं जंगल में रहने चले गए
घास कि रोटी खाकर भी अपने निश्चय पर अडिग रहे
३० वर्ष प्रयास किया पर बंधन में ना बांध सका
महाराणा प्रताप का योद्धा ना अकबर ने जग में देखा
जन जन के मानस में अमर रहेंगे महाराणा प्रताप
देशभक्ति को कष्ट सहे मन में ना किया कभी संताप
महाराणा प्रताप से वीर रण के गौरव कहलाते है
इनका वंदन करते हैं हम सब शीश नवाते है
