मुझ पर एक एहसान करो
मुझ पर एक एहसान करो
मुझ पर एक एहसान करो
ढंग से अपना कर्म करो
अलख ज्योति जला के हृदय
नवीन युग का निर्माण करो, मुझ पर एक एहसान करो।।
आँधियों को भी चलने दो,
जख्मों को ना ध्यान करो
जूझते रहो हर समस्या से
ना जब तक इसका विनाश करो, मुझ पर एक एहसान करो।।
निपुण स्वयं को इतना करो
कथन-करनी में भेद ना हो
स्मृति चिन्ह बने तेरे कदम
आयाम ऐसे खड़े करो, मुझ पर एक एहसान करो।।
बहुमूल्य ये जीवन है
धर्म कृत्य करते चलो
बड़े पुण्यों का सरगम है ये
मानव धर्म पर बढ़ते चलो, मुझ पर एक एहसान करो।।
संकल्प अपने हृदय धरो
बुराइयों का अपनी अंत करो
जीवन समर्पित कर धरती माँ को
अपने दायित्व को पूर्ण करो, मुझ पर ये एहसान करो।।
