हल्दी कुमकुम
हल्दी कुमकुम
लो आ गई मकर संक्रांति ,
हम औरतों के लिए , जैसे हो ये क्रांति
सुबह से ही सब तामझाम में लग जाए
तिल गुड़ खिलाकर सबको रिझाएँ।
ज्यादा नहीं बस# चाह है उसकी इतनी ,
पति परमेश्वर लेदे उसको साड़ी ,
उसके मन के जितनी ।
साड़ी तो एक बहाना हेे,
हल्दी कुंमकुंम त्यौहार में उखाना लेकर #
सबसे अच्छा पति मेरा यही कहलवाना हे।
तिल गुड की तरह मीठास रहे सबके जीवन मेेे,
दुुआ है,
पत्नी की ख्वाहिश पुरी होती रहे उसके दिल मे।
