झूठ का सत्य
झूठ का सत्य
आप सभी ने एक बात सुनी होगी
किसी धर्म ग्रंथ में पढी होगी
कि सत्य के बिना संसार नहीं चलता
मगर मैं कहता हूँ कि झूठ के बिना संसार नहीं चलता ।
सारे रिश्ते नाते की बुनियाद है झूठ
कभी- कभी अपने ही सपने लेते हैं लूट ।
पर्दे के पीछे का ज़िन्दगी का सच
यदि पूर्ण सच्चाई से जग जाहिर हो जाए
तो सोचिए क्या होगा?
पति – पत्नी क्लेश से उपजे बुरे ख्याल
यदि एक-दूसरे को हूबहू बता दें
तो सोचिए क्या होगा?
मैं कहता हूँ कि सातवें दिन ही
तलाक हो जाएगा !
पीठ पीछे निन्दा करने वाले
यदि आपके सामने करने लगे
तो सोचिए क्या होगा?
दोस्ती का रिश्ता पल भर में टूट जाएगा ।
शायद युद्ध ही छिड़ जाएगा ,
सारा संसार एक रणभूमि बन जाएगा,
नीली धरती रक्त से लाल हो जाएगी ।
वास्तव में हम सच को भीतर दबाकर
बाहर के झूठ से संसार को चलाते हैं
यही परम सत्य है,
संसार सत्य से नहीं
अपितु मिथ्या से चलता है।