हमारी हिन्दी
हमारी हिन्दी


सबसे मीठी सबसे सुंदर
सबसे सरल सबसे उदार
है हमारी राजभाषा
अतुल्य भारत की पहचान है
हिन्दी हमारा अभिमान है।
जन जन की बोलियों में
देश के हर गलियों में
हिन्दी ही बसी है
शताब्दियों से कंठों में सजी है
हिन्दी हमारे जीने की आशा है।
हिन्दी की उदारता की क्या व्याख्या करें
ना किया कभी किसी भाषा का निरादर
खुले हाथों से किया सबको स्वीकार
गरिमा जिसकी अतुलनीय।
आज क्यों न समझते इसकी महत्ता
जो होता था हमारा अभिमान
क्यों आज इसका उच्चारण
हम मानते हैं अपमान
अंग्रेजी बोलना मानते हैं शान
भारत का इतिहास है प्रमाण
लेखों, रचनाओं और संगीत में
मिलता है हिन्दी का बखान
फ
़िल्मों के गाने हो या नाटकों के संवाद
अखबार हो या दूरदर्शन में समाचार
रेडियो हो या धारावाहिक
हिन्दी है सबकी जान
सबके दिलों को जोड़ता
हिन्दी है वह असीमित तार
फिर क्यों धुंधली हो गई हिन्दी की छवि
अंग्रेज़ी ही बनाएगी अच्छी तकदीर
ऐसी सोच क्यों है?
दिखावे के चकाचौंध में
कहीं विलुप्त ना हो जाए हिन्दी !
भारत की पहचान लौटाना है
अपनी सुनहरी संस्कृति को बचाना है
हिन्दी को अपने जीवन का
अभिन्न अंग बनाना है
चलो आज प्रण करते हैं
हिन्दी को उच्चतम शिखर तक
फिर से पहुँचाना है
पूरे विश्व में इसे सवोर्च्च भाषा बनाना है
हिन्दी है मान हिन्दी है स्वाभिमान
हिन्दी भारत की शान है।