ऐ नींद तू आ जा
ऐ नींद तू आ जा
सालों से इंतज़ार है
एक अच्छी नींद का ।
याद नहीं है वो रात ,
सोई हूँ किसी उम्मीद के साथ ।
आँखें बंद होते नहीं ,
सपने आते नहीं ।
खुली आंखे थक जाती हैं ,
सोच – समझ ही रुक जाती हैं ।
याद आती है
बचपन की मां की लोरियाँ ,
जब सपनों में आती थी परियाँ ।
आ जाए जिंदगी में कोई ,
सुला दे अपनी गोद में ,
थोड़ी देर ही सही ,
खुली आँखों में वो सपने सज जाए ।
फिर से वही पुरानी रातें रज जाए ।
ख़त्म होगा ये इंतज़ार कब
टूटेगी ये दीवारें कब
अब दर्द भी बेदर्द होने लगा है
आशाओं का बाँध टूटने लगा है ।
आ जा अब नींद ,अब ना सता
दे दे मुझे तेरा पता
कर दूँ आज कोई खता
आ जाए मौत और
आँखों से नींद कभी न हो लापता ।
सो जाऊ ऐ मौंत तेरी बाहों में
ख़त्म न हो ये नींद दिन-रातों में।