याद आता है प्यार
याद आता है प्यार
कैसे भूलूँ वो पहली मुलाकात
तुम्हारे कॉलेज का पहला दिन
दाखिले का फार्म भरती मेरी कलम ।
अपने उलझलुल सवालों से परेशान करते
ध्यान भटकाते तुम।
दोनों एक दूसरे से बिलकुल अनजान
लेकिन कुछ क्षणों में हो गई
पक्की पहचान।
क्लास में बेवजह
अपनी हरकतों से
मेरा ध्यान अपनी ओर खिंचना।
कोशिशें तुम्हारी समझ आ रही थी।
कई बहानो से
मेरी क्लास में आना
और दरवाजे पर दस्तक दे कर कहना
“ सुनो ना मैम “
पलट कर देखूँ तो
मुस्कराकर ये कहना
“ कुछ नहीं बस ऐसे ही”
शिक्षक-विद्यार्थी से भी
गहरा था हमारा रिश्ता
पहेलियों में उलझा हुआ ।
वाट्स ऐप पर
ये लिखना
“मैम ये समझ नहीं आ रहा “
और बातों का सिलसिला शुरू करना।
जवाब न देने पर
तुम्हारा रूठ जाना
और मेरा मनाने की कोशिश करना।
एक दूसरे से
कुछ न छुपाना ।
आदत सी होने लगी थी
हमें एक -दूसरे के
नजर और आवाज़ की।
जो भी था
दोस्ती से बढ़कर ही था।
याद है मुझे वो दिन
जब तुमने किया प्यार का इजहार
कर दिया मैंने इंकार
मैं शिक्षक और तुम विद्यार्थी
सबकी सोच से परे
कुछ नया अनोखा हो जाएगा ।
शांत लहरें किन्तु गहरे
एक तूफान ले आएगा ।
लोग क्या कहेंगे ये समझाया
वो करता रहा अनेको कोशिशें
न उम्र का बंधन
न समाज का डर सोचा
आखिर मैने हाँ कर दिया।
यह पड़ाव कठिन था
प्यार के एहसास ने
सब कुछ बदल दिया ।
कॉलेज में जब भी टकराते
रास्ते ही बदल जाते ।
फोन में बातें आसान थी
पर नजर मिलाकर बात करना
बहुत मुश्किल था।
शिक्षक से दोस्त और दोस्त से प्रेमी
ये सफर बड़ा ही सुहाना था।
समय आगे बढ़ते गया
हमारा प्यार और गहराता गया ।
समय का फेर तो देखो
तुम्हारी पढाई खत्म हो गई।
मैंने नयी नौकरी पा ली
हमने साथ-साथ ये शहर छोड़ दिया।
कभी नहीं भूलेंगे ये वादा किया ।
नया शहर नये लोग नयी नौकरी
उस भीड़ में अकेली थी ।
फिर से मिलने की उम्मीद में
जीए जा रही थी।
अचानक एक घंटी बजी
कितने दिनों बाद
तुम्हारे एक मेसेज ने
दिल को सुकून दिया।
एक लंबे अरसे का
इंतज़ार ख़त्म हुआ ।
सारी दूरियाँ मिट गई
ऐसे मिले जैसे ये
आखिरी ख़्वाहिश पूरी हो गई।
क्या लिखा था
किस्मत की लकिरों में
यही हमारी आखिरी
मुलाकात बन गई ।
ऐसा तुमने मुँह फेरा
कभी पलट कर न देखा।
किस गलती की सज़ा दे गए
आजीवन दर्द दे गए।
तुम्हारा इंतज़ार रहेगा
अंतिम साँस तक ।