कैद
कैद
मज़हबी दीवार में इंसान कैद है
सोच की कुंठित गली नादान कैद है
फ़न मिरा नायाब है सारे ज़माने से
शर्म के घूंघट तले पहचान कैद है
भक्ति सेवा भाव के दिन ही चले गए
दान की पेटी तले भगवान कैद है
पीठ के पीछे टंगे तस्वीर में बापू
नोट की गड्डी तले ईमान कैद है
अब नहीं है वक़्त रहने को महीने भर
वक़्त की वंदिश में हर महमान कैद है
हैं गज़ब बदले नियम संसार के नए
चोर के आदेश पर दरबान कैद है
देव थोड़ी सी हवा दे दे बगावत को
हर किसी के ज़हन में तूफान कैद है।