कविता
कविता
एक बार एक सज्जन
बहुत जल्दबाजी में आए
भाई साहब
हेयर डाई चाहिए
मैंने नजर डाली
उनका सिर चमक रहा था
यानी
एक भी बाल नही था
मैंने कहा किसके लिए
ले जा रहे है बोले अपने लिए
कौतूहल को मुँह में दबाए
मैंने कहा मुझे तो बाल
नजर नही आ रहे हैं?
कहने लगे
क्या बताएँ भाई साहब
पंद्रह साल से
डाई लगा रहा हूँ
अब तो आदत सी पड़ गई है
बाल भले ही न रहे हो
मगर डाई लगाने की
आदत नही गई
सो नही गई ।
