कविता
कविता
एक मजनू
आम के बगीचे
हैरान परेशान घूम रहा था
मन ही मन जीवन के
सबक दोहरा रहा था
मैंने रोककर पूछा
बड़े परेशान लग रहे हो भाई
बोले कुछ मत पूछो
भाई साहब मेरी तो
किस्मत ही खराब है,
मैने कहा कैसे?
बोले क्या क्या बताएं
आपका कलेजा हिल जाएगा
दिल फटा है साहब
कोई कपड़ा नही
जो सिल जाएगा
बचपन मे मनपसंद
खिलोने नही मिले
कॉलेज गए तो पसंद का
सब्जेक्ट नही मिला
ऊपर वाले ने कुछ दया
रिलीज की
और एक गर्लफ्रेंड मिली
जिसने जिंदगी भर
साथ निभाने का
वादा किया था
इसी विश्वास पर
वेलेंटाइन डे पर
उस वेलेंटाइन को
गुलाब का फूल दिया था
मगर हाय री किस्मत
यहाँ भी दगा दे गई
वो चाकलेट देने की जगह
कुरकुरे का पैकेट थमा गई!
