मैं पत्नी से डरता हूं ।
मैं पत्नी से डरता हूं ।
नहीं मौत से डरता हूं मैं,
पर पत्नी से डरता हूं।
पत्नी नहीं डराती मुझको,
मैं पत्नी से डरता हूं।
मौत मिले या सौत मिले अब,
दोनों से सुख मिलता है।
लेकिन पत्नी साथ मिले तो,
जीवन से दुख मिलता है।
जीवन तपती धूप अगर है,
पत्नी गर्मी भीषण है।
तन-मन -धन का औ" जीवन का,
पत्नी करती शोषण है।
मौत छाँव है पीपल की-सी,
औ" सौतन है शीतल सी।
इन दोनों से मिलती ठंडक,
पर पत्नी है उलझन सी।
यह सब हँसने की बातें है,
हम तो मन बहलाते हैं।
प्रिये, नहीं तुम रूठो हम से,
लो हम कसमें खाते हैं।
