सोच से दुनिया सुहानी दिखती है।
सोच से दुनिया सुहानी दिखती है।
मौत की तुम को निशानी दिखती है।
बस हमें तो ज़िन्दगानी दिखती है।
हर तरफ़ काँटे दिखें तुम को चमन में,
बस हमें तो रातरानी दिखती है।
सीख जाएँ प्यार करना गर वतन से,
फिर वतन पर जाँ गँवानी दिखती है।
लड़ रहे नेता यहाँ संसद भवन में,
देश की यह राजधानी दिखती है।
जो मिला मुझको कभी सोचा नहीं था,
यह खुदा की मेहरबानी दिखती है।
तुम घिरे हो यूँ सदा गम के भंवर में,
पर हमें गम की रवानी दिखती है ।
माजरा सब सोच का है कुछ नहीं है,
सोच से दुनिया सुहानी दिखती है।